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क्या 2019-20 में ग्वार की खेती फायदेमंद रहेगी ?

अमेरिका व चीन के बीच जारी व्यापारिक तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमते अन्तराष्ट्रीय बाज़ारों में तेज़ी से गिर रही है l अभी कच्चे तेल की कीमत 61 डॉलर प्रति बरेल से भी निचे आगई है l जो की पिछले चार महिने के निम्नतम स्तर पर है l गिरती हुयी कच्चे तेल की कीमतों ने अंतराष्ट्रीय बाज़ारों में दबाब बना रखा है l अमेरिका में कच्चे तेल की खुदाई की आयल रिग की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गयी है l अमेरिक में अभी 984 आयल रिग सक्रिय है जो की पिछले वर्ष की गणना से 76 कम है l बारिश के बाद में कच्चे तेल कीमते ग्वार को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक है l


साधारणतया जून-जुलाई का महीना ग्वार व ग्वार की बिजाई का समय होता है l इसा समय ग्वार की मांग बाज़ार में ज्यादा रहती है। इस समय किसान से ग्वार की आवक बाज़ार में नहीं होती है।ज्यादातर छोटे किसान अपना ग्वार का स्टॉक फ़रवरी-मार्च तक बेच चुके होते है। सिंचित क्षेत्र के किसान प्रमाणित बीज से बीजाई करते है l लेकिन बरानी क्षेत्र में किसान अपने घर का बीज ही काम में लेते है l प्राप्त जानकारी के अनुसार कपास व खरीफ की दूसरी दालों के अच्छे भाव मिलाने के कारन ग्वार की बीजाई पीछल्रे वर्ष से घटने की आशंका है l

ग्वार की नयी फसल अक्तूबर व नवम्बर महीने में आएगी। व्यापारी या खरीददार अभी ग्वार व ग्वार गम के स्टॉक लेने की बजाय नयी फसल के आगमन पर ग्वार या ग्वार गम खरीदने की योजना बनायेंगे। कमजोर व मानसून में देरी के सिवाय कोई भी दूसरा फंडामेंटल कारक अभी ऐसा नहीं है जो ग्वार व ग्वार गम की कीमतों को सहारा दे सके l बाज़ार के जानकारों के अनुसार ग्वार निचे के स्तर 4000 रूपए प्रति क्विटल को नहीं तोड़ेगा l ग्वार अभी 4100 रूपए प्रति क्विटल के आस पास चल रहा है l


इस वर्ष ग्वार व ग्वार गम की कीमतों ने किसानो को कोई ज्यादा मुनाफा नहीं दिया है l पुरे वर्ष के दौरान ग्वार की कीमते 4100-4800 के बीच में घटती बढती रही। ग्वार गम पाउडर की निर्यात की मांग नहीं होने के कारन ग्वार गम के भावों में इस वर्ष तेज़ी देखने को नहीं मिली। ग्वार की कीमतों को मुख्य सहारा इस वर्ष ग्वार चुरी कोरमा की कीमतों से मिला है l ग्वार चुरी निर्यात होने वाला एक महत्वपूर्ण ग्वार उत्पाद के रूप में उभरा है l विदेशों में पशु आहार प्रोटीन की बढती मांग के कारण के ग्वार चुरी व ग्वार कोरमा के निर्यात में बढ़ोतरी हुयी है l ग्वार गम के पाउडर के निर्यात में कमी दर्ज की गयी है हालाँकि अभी पिछले वर्ष के फाइनल आंकड़े नहीं आये है l 



किसान भाई ग्वार की फसल को प्राथमिक फसल के रूप में बिजाई न करे l ग्वार की फसल को दूसरी वरीयता दे l बाज़ार में जीतनी ज्यादा आवक ग्वार की रहेगी किसान को उतना ही नुकसान है l कृषि गोदामों में रखा माल ग्वार के भाव को चढने ही नहीं देगा l मजबूरन किसानों को विदेशी कंपनी से निर्धारित दाम पर माल बेचन पड़ेगा l जो ग्वार गम पाउडर हम भारत से 100 रुपये किलो पर बहार भेजते है l वो ही ग्वार गम भारत में 1000 रूपए प्रति किलो के भाव पर वापस आ रहा है l

अभी तक की परिस्थिति के अनुसार किसान ग्वार के भाव को 5000 रूपए प्रति क्विटल से ऊपर ले कर नहीं चले l जन्हा तक मानसून के आगमन का सवाल है l अभी तक मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है । केरल में मानसून का आगमन हो चूका है। सामान्य मानसून की स्थिति में ग्वार उत्पादन क्षेत्र में खरीफ की दूसरी दलहन फसलों की बिजाई ग्वार से ज्यादा होगी l हरियाणा में हरियाणा सरकार मक्का की खेती पर किसानों को आर्थिक सहायत दे रही है । राजस्थान में भी किसान बाजार मूंग मोठ पर ज्यादा ध्यान दे रहे है, इस वर्ष किसानों को बाजरे के अच्छे दाम मिल रहे है l 

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