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ग्वार को रोक कर के रखे या फिर नुक्सान से बचने के लिए बेचकर निकले ?

ग्वार को रोके या फिर बेच कर निकले ?


फ़रवरी महीने के पहले सप्ताह में ग्वार के भावों में भारी गिरावट देखने को मिली है  ग्वार के किसान व व्यापारी भाई बडी दुविधा में है की ग्वार को रोक कर के रखे या फिर और ज्यादा घाटे से बचने के लिए ग्वार को बेच दे  कई किसान भाइयों ने फ़ोन कर के इसके बारे में पूछा भी था । सबसे पहले विश्लेषण करते है, फसल उत्पादन की  इस वर्ष फसल का उत्पादन 70-80 लाख बोरी का है । कम बीजाई, लेट बारिश व असंतुलित बारिश के कारन फसल का उत्पादन इस वर्ष कम ही ले कर चल रहे है । राजस्थान सरकार के जारी आंकड़ो के अनुसार ग्वार का उत्पादन इस वर्ष 1 करोड़, 45 लाख बोरी का था । इसमें 20 लाख बोरी दुसरे प्रदेश की मिला ले तो कुल उत्पादन 1 करोड़ 60 लाख के करीब पहुँच जाता है । इस तरह दोनों आकड़ों में लगभग 80-90 लाख बोरी का अंतर आ रहा है । सरकारी आंकड़े में ग्वार की बिजाई के आंकड़े बढ़ कर ही आते है । पिछले साल के आंकड़ों में ज्यादा तर देखा गया है कि दूसरी फसलों के आंकड़ें पुरे होने के बाद जो जमीन बच जाती है वो ग्वार के नाम लिख देते है ।


ग्वार बाज़ार में घटती आवक पर भाव क्यों टूटे 


अगर वास्तव में ग्वार उत्पादन ज्यादा होता तो कटाई के बाद मुख्य आवक के समय नवम्बर दिसम्बर में ही ग्वार के भाव टूट जाते । नवम्बर दिसम्बर के महिने में ग्वार की मुख्य आवक रहती है, लेकिन इसके विपरीत इस वर्ष ग्वार के भावों में मुख्य आवक के समय तेज़ी देखने को मिले थी । अगर ग्वार की आवक ज्यादा होती तो, ग्वार के भाव उस समय घटाकर बोले जाते । लेकिन ग्वार के भाव मुख्य आवक कम होने के बाद फ़रवरी में टूट रहे है । कही न कही छोटे व्यापारी व किसानो पर कम कीमतों का दबाब बना कर रोके हुए ग्वार को बाहर निकालने की कोशिश प्रतीत होती है ।

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ग्वार को रोक कर के रखे  या फिर नुक्सान से बचने के लिए बेचे  ? 
ग्वार के कुल निर्यात के आंकड़ों में भी अभी तक किसी तरह की कमी नहीं दिखाई दे रही है । दूसरी और प्रति मीट्रिक टन ग्वार के निर्यात के भाव भी बढ़ कर आ रहे है । वर्ष 2017-18 में ग्वार गम का निर्यात 1253 डॉलर प्रति टन के भाव पर हुआ था । वर्ष 2018-19 में यही ग्वार गम 1327 डॉलर प्रति टन के भाव पर निर्यात किया गया था यानि की 74 डॉलर प्रति टन के अधिक भाव पर निर्यात हो रह है । अभी जनवरी, फ़रवरी मार्च तीन महिने के आंकड़े आने बाकी है । इसका मतलब मांग व मंदी वाली कोई बात नजर नहीं आरही । भारतीय रुपयों में देखे तो कुल निर्यात की कीमत में 16 % प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हैl मांग है तभी हो आयत करने वाले बढ़ा कर पैसे दे रहे है ।


5000 प्रति/क्विंटल से ऊपर के ग्वार के भाव नहीं सोचे 


अभी ग्वार के बाज़ार भावों के ज्यादा दबाब में आने की जरुरत नहीं है। क्योंकि नया माल 10 महिने बाद आयेगा। छोटे किसानो के पास ज्यादा माल रोकने की क्षमता नहीं होती, उनका माल बाज़ार में आ चुका है । अब बाज़ार में स्टॉकिस्ट व बड़े किसानो का माल फैक्ट्री में सप्लाई होगा । स्टॉकिस्ट का माल तेज भावों में स्टॉक किया हुआ है । स्टॉकिस्ट घाटा खा कर के फैक्ट्री को माल नहीं सप्लाई करेगा । ग्वार गम की फैक्ट्रीयों में तो माल लगेगा ही लगेगा । डिमांड अभी अच्छी बनी हुयी है । 4700-4900 के भाव के इंतज़ार में किसान रोका सकता । बाकी इस साल 5000 प्रति/क्विंटल से ऊपर की सोच, मन में नहीं रखे । फ़िलहाल स्थानीय बाज़ारों में ग्वार की आवक कम ही है । आगे रबी की फसल आने के बाद हरीफ की फसल की आवक एक दूँम कम होजाएगी ।

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