स्थानीय बाजारों में ग्वार की नई फसल की आवक शुरू हो गयी है । सिंचित एरिया जैसे कि गंगानगर, हनुमानगढ़ एवं हरियाणा गवार की फसल की कटाई शुरू हो गई है । सिंचित इलाके के स्थानीय कृषि बाजारों में ग्वार की आवक अच्छी है । लेकिन बारानी इलाकों के स्थानीय बाजारों में ग्वार की आवक अभी कमजोर है । प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा बेल्ट में फसल पकाई के समय ज्यादा बारिश के कारण ग्वार का दाना काला पड़ गया है । लेकिन काले दाने व साधारण दाने की कीमतों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है। व्यापारी इसे साधारण ग्वार की तरह ही खरीद रहे हैं । ग्वार की फसल की बुवाई बरानी इलाके में देर से शुरू हुई थी इसलिए उन इलाकों के स्थानीय कृषि बाजारों में ग्वार की आवक अभी शुरू नहीं हुई है । बरानी इलाको के बाजारों में ग्वार की अच्छी आवक शुरू होने में अभी 10-15 दिन और लग सकते हैं । यह भी समाचार है कुछ
बाजारों में थोड़ी बहुत मात्रा में ग्वार की आवक शुरू हो गई है ।
बाजार के जानकारों
के अनुसार इस साल 50,00,000
से 70,00,000 ग्वार की बोरियों (100 किग्रा प्रति बोरी ) के उत्पादन का अनुमान है । राजस्थान सरकार द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों के
अनुसार इस साल 34,18,000
हेक्टेयर क्षेत्र में ग्वार की बिजाई हुई है । इस साल ग्वार उत्पादन क्षेत्रों बारिश कमजोर थी । समस्त ग्वार
उत्पादन क्षेत्र में बारिश एक जैसी भी नहीं थी । इससे अनुमान लगाया जाता है कि ग्वार का उत्पादन व उत्पादकता इस साल पिछले साल
के मुकाबले बहुत कम रहेगा ।
ग्वार का निर्यात
इस साल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है । गवार की मांग अमेरिका में धीरे-धीरे बढ़ रही है । कच्चे तेल उत्पादन की फ्रेकिंग गतिविधि ( जिसमें
ग्वार गम काम में लाया जाता है ) अमेरिका में बढ़ रही है । अमेरिका में तेल उत्पादन क्षेत्रों ( आयल रिग ) में इस साल 10% की बढ़ोतरी हुई है । कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दिनों दिन ऊपर जा रहे हैं । कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं अब तक कच्चे
तेल के दाम $ 84 प्रति बैरल
के आसपास पहुंच चुके हैं, यद्यपि WTI कच्चे तेल का दाम $73 प्रति बैरल के आसपास चल रहा
है । अमेरिका ने ईरान में उत्पादित
कच्चे तेल के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया है । जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की उपलब्धता बहुत ही कम हो गई है ।
अगले दो महीनों में
ग्वार व ग्वार गम की कीमतों पर ग्वार की आवक का दबाव बना रहेगा । अगर अगले 15-20 दिन में ग्वार की आवक स्थानीय बाजारों में कमजोर
रहती है तो वह ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में बढ़ोतरी होगी । पूरे साल में ग्वार की फसल सिर्फ एक मौसम में ही ली
जाती है इसलिए निर्यातक व स्टाकिस्ट को पूरे साल के ग्वार की खरीदी इसी सीजन में
ही करनी होती है । चीन सोया मील ( सोयाबीन चुरी ) का अमेरिका से सबसे बड़ा आयातक देश है । लेकिन इस साल अमेरिका व चीन के व्यापारिक रिश्ते में
खटास बढ़ती जा रही है । जिससे ग्वार कोरमा चीन के बाजारों में सोया मील की जगह ले सकता है । अगर ग्वार कोरमा या ग्वार चूरी को चीन में अच्छा बाजार मिल जाता
है तो ग्वार की कीमतों में अभी के स्तर से और भी बढ़ोतरी हो सकती है ।
अगस्त 2018 तक ग्वार गम का निर्यात 2,22,001 मेट्रिक टन हो गया है, जो कि पिछले साल से
ज्यादा है । कीमतों के हिसाब से ग्वार गम का एक्सपोर्ट / निर्यात अगस्त-2018 तक 301 मिलियन डॉलर या 2039 करोड रुपए का हुआ
है ।
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