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मानसून में देरी से ग्वार की बीजाई इस वर्ष कैसी रहेगी ?

मौषम विभाग के अनुसार राजस्थान में मानसून देरी से आने की उम्मीद है । मौषम विभाग के आंकलन के अनुसार 15 जुलाई तक राजस्थान में मानसून आएगा। मानसून के देरी से आने से ग्वार की बिजाई प्रभावित होगी । ग्वार की सामान्य बुवाई 20-22 जून के आस पास हो जानी चाहिए। वायु चक्रवात तूफ़ान के साथ राजस्थान में बारिश होने की उम्मीद थी। लेकिन वायु तूफ़ान भारत में नहीं घुसा और किनारों से होता हुआ चला गया। ताज़ा जानकारी के अनुसार वायु तूफान वापस भारत की तरफ रुख कर सकता है । इससे राजस्थान में कुछ बारिश हो सकती है ।
लेट होने के बावजूद अगर मानसून अच्छा रहता है तो किसान ग्वार की तुलना में दूसरी खरीफ की फसलों की खेती करेगा l इस वर्ष राजस्थान में मुख्य चुनाव पुरे हो चुके है l राज्य सरकार ने नए फसली ऋण देने में भी अपने हाथ पीछे कर लिए है l पुराने फसली ऋण में फसे किसानो को भी सरकार से कोई विशेष सहायत मिलने की उम्मीद नहीं है l ऐसी स्थिति में किसान सबसे पहले बाजार मूंग मोठ को प्रथमिकत देगा l इस साल बाजरे के भाव भी अच्छे रहे है l अतः किसान के लिए ग्वार दूसरी वरीयता की फसल रहेगी l 

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उधर अमेरिका व इरान के बीच राजनैतिक संकट और गहराता जा रहा है l इरान के पास जापान को जाने वाले तेल टेंकरों पर आक्रमण का दोष अमेरिका, ईरान के ऊपर डाल रहा है l इस आक्रमण के चलते इस सप्ताह तेल की कीमतों में 4% से ज्यादा की बढ़ोतरी भी देखी गयी है l बैकरहूज के आयल रिग की गिनती के आंकड़ो के अनुसार आयल रिग की संख्या में गिरावट दर्ज को गयी है l इन आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में 969 आयल रिग सक्रिय है जो की पिछले वर्ष से 90 कम है तथा पिछले सप्ताह के मुकाबले 6 कम है l घटती हुयी आयल रिग की संख्या तेल की खुदाई में काम आने वाले रसायन व ग्वार गम के मांग में कमी को दर्शाती है l 

पिछले वर्ष ग्वार की कुल बीजाई राजस्थान में 30,87,769 हक्टैयर पर हुई थी तथा उत्पादन 1,03,14,150 क्विटल तकरीबन एक करोड़ तीन लाख बोरी का हुआ था l ग्वार की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3.34 क्विंटल की रही थी l इस वर्ष अनुमान के मुताबिक बीजाई 30 लाख हेक्टेयर से कम होने की उम्मीद है l ग्वार का उत्पादन मानसून व ग्वार की उत्पादकता पर निर्भर करेगा l राजस्थान ग्वार का मुख्य उत्पादक राज्य है उसके बाद ग्वार का उत्पादन हरियाणा में होता है पिछले वर्ष हरियाणा में ग्वार की बीजाई 2,46,000 हक्टैयर में हुयी थी तथा ग्वार का उत्पादन 7,87,200 क्विंटल या तकरीबन 7.87 लाख बोरी का हुआ था l हरियाणा के बाद ग्वार का उत्पादन गुजरात में होता है पिछले वर्ष गुजरात में ग्वार की बीजाई 1,34,660 हक्टैयर में हुयी थी तथा ग्वार का उत्पादन 7,35,200 क्विंटल तकरीबन 7.35 लाख बोरी का हुआ था l 
मौषम की बेरुखी का सबसे बुरा प्रभाव बाड़मेर जैसलमेर क्षेत्र में पड रहा है l बारिश के आने से पहले ही अकाल पड़ने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है l चारे व पानी के अभाव में भारी मात्रा में पशुधन काल के ग्राश बनते जा रहे है l ऊपर से सूर्य देव भयंकर आग बरसा रहे है l इस बीच कई क्षेत्रों में टिड्डी दल ने भी आक्रमण कर दिया है l सिंचित क्षेत्रो में किसानों के और भी बुरे हाल है l मानसून के समय पर आने की उम्मीद में किसानों से जैसे तैसे सिचाई कर के बीजाई तो कर दी लेकिन नहरो में प्रयाप्त मात्रा में पानी नहीं होने के कारन बीजाई की हुयी फसल भी ख़राब हो रही है l पशुओं के लिए हरे चारे का भी संकट खड़ा हो गया है l 

मानसून के लेट होने से सिंचित क्षेत्रो में ग्वार की बीजाई का समय भी निकल रहा है l ग्वार की बीजाई में देरी होने से ग्वार की फसल पकने में ज्यादा समय लेगी l अगर कटाई में ज्यादा समय लगता है तो रबी की फसल की बीजाई में देरी होगी l लेकिन किसान रबी की फसल में देरी नहीं करेगा क्योंकि रबी की फसल सिंचित क्षेत्रो में मुख्य फसल होती है l अतः किसान ग्वार की फसल को बिना अच्छी तरह पके या नमी की अवस्था में ही कटाई करेगा l जिससे ग्वार की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ेगा l 

ग्वार के भावों पर कमजोर मांग व घटते निर्यात का असर बना रहेगा l अभी कोई विशेस तेज़ी की सम्भावना नहीं हैl अगर मानसून 30 जून तक सक्रिय नहीं होता है तो l ग्वार के भावों में तेज़ी का रूख बन सकता है l बीजाई जितनी ज्यादा लेट होगी ग्वार के भाव उतने ही ज्यादा मजबूत होंगे l सामान्य मानसून की स्थिति में भी नीचे की तरफ ग्वार 4000 का स्तर नहीं तोड़ेगा l अबकी बार ग्वार का केरी ओवर स्टॉक पिछले साल के मुकाबले बहुत ही कम है l अभी किसान व व्यापारी ग्वार व ग्वार गम की बिकवाली में ना आये l

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