पिछले 3-4 साल से ग्वार के भाव 5000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से ऊपर नहीं जा रहे l किसान व्यापारी, स्टॉकिस्ट सभी बड़ी तेज़ी का इंतज़ार कर रहे है सभी के पास में एक ही सवाल है की क्या ग्वार व गवारा गम के भाव में फिर बड़ी तेज़ी दिखेगी ? अभी तक ग्वार के भाव 4000-5000 प्रति क्विटल के दायरे में ही चल रह है l वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ग्वार के भाव इस सीमित दायरे से ऊपर की तरफ बाहर निकलता दिखाई दे रहा है l वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ो के अनुसार इस वर्ष (2018-19) अप्रैल से नवम्बर तक 1,83,046 मैट्रिक टन ग्वार गम पाउडर व 46,532 मैट्रिक टन साफ़ की हुयी ग्वार गम सप्लीट का निर्यात किया जा चूका है । दोनों को मिला कर के कुल 2,29,578 मैट्रिक टन ग्वार गम का निर्यात हो चुका है । पिछले वर्ष ( 2017-18 ) के दौरान 3,21,923 मैट्रिक टन ग्वार गम पाउडर व 41,177 मैट्रिक टन ग्वार गम सप्लीट का निर्यात हुआ था । कुल मिलाक कर पिछले वर्ष 3,66,663 मैट्रिक टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था ।
प्राप्त आंकड़ो के हिसाब से पिछले वर्ष पुरे साल में 1,34,00,000-1,40,00,000 बोरी ग्वार की प्रोसेसिंग से प्राप्त ग्वार गम का निर्यात हो चुका था । इस वर्ष नवम्बर महीने तक लगभग 85,02,880 - 90,00,00 बोरी ग्वार से प्राप्त गार गम का निर्यात हो चूका है । बाज़ार से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार इस वर्ष ग्वार का उत्पादन 80,00,000 बोरी का था । कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार भी उत्पादन 1 करोड बोरी के आस पास ही रहने की उम्मीद है । मांग व उत्पादन में असंतुलन साफ़ साफ़ अंतर दिखाई दे रहा है । इन आंकड़ो के अलावा 4-5 महिने बाद ग्वार की बीजाई होगी । उसमें भी ग्वार की काफी मात्र लगेगी । ग्वार की स्थानीय खपत की मांग भी रहती है । कुछ हिस्सा ग्वार का स्टॉक में हमेशा रहता है । इस साल 1.5 से 2 करोड़ बोरी के आस पास खपत रहेगी ।
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क्या ग्वार व ग्वार गम के भाव में फिर दिखेगी बड़ी तेज़ी ? |
अगर अमेरिका में शैल क्रूड आयल का उत्पादन बढ़ता है तो ग्वार गम के निर्यात में और तेज़ी आएगी । मांग व उत्पादन में असंतुलन, ग्वार के भावों को ऊपर की और ले जा सकता है । ग्वार की मुख्य मांग अमेरिका के तेल व अमेरिका के तेल व गैस .उद्योग से आती है । अमेरिका में फ्रेकिंग तकनीकी से कच्चे तेल का उत्पादन होता है । फ्रेकिंग तकनीक में ग्वार गम का उपयोग होता है । अन्त राष्ट्रीय बाजारों में अगर कच्चे तेल के दाम बढ़ते है तो ग्वार गम की मांग में निश्चित ही बढ़ोतरी होगी । लेकिन अभी की मांग व उत्पादन को ध्यान में रखते हुए 2012 में ग्वार के भावों में हुई उथल पुथल के दुहराने की उम्मीद कम ही है ।
ग्वार एक औद्योगिक मांग वाली कृषि कमोडिटी है। जिसका सीधे खाने में प्रयोग नहीं होता है । अचानक मांग बढ़ने से भावों में असर देखने को मिल सकता है । बाकि अगर भावों को देखे तो इस वर्ष ग्वार के भाव 4000/क्विटल से नीचे नहीं गए है । बाज़ार में चुरी कोरमे की मांग व भाव भी अच्छे है । कोरमे के भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चल रहे है । जबकि वर्ष 2012 में कोरमे के भाव इतने ऊँचे नहीं थे । ग्वार चुरी कोरमे का प्रयोग सोया प्रोटीन की जगह पशुओं को प्रोटीन की आपूर्ति रूप में देने के काम आता है । ग्वार के भावों में फसल की आवक से ही पिछले वर्ष से ज्यादा तेज़ी है । वर्ष 2017-18 में ग्वार चुरी कोरमे का निर्यात 1,27,437 मीट्रिक टन हुआ था इस वर्ष 2018-19 में ग्वार चुरी कोरमे का निर्यात 1,01,395 मीट्रिक टन हो चूका है । नया ग्वार लगभग 10 महीने बाद आएगा । अगले दस महीने तक मौजूद उत्पादन से काम चलाना पड़ेगा।
अगले दस महीने के अन्तराल को देखते हुए किसान व व्यापारियों को ग्वार को एक साथ में निकालना / बेचना नहीं चाहिए । मांग व आवक के ऊपर नीचे होने से भावों में तेज़ी मंदी होती रहेगी । प्राप्त आंकड़ो को देखते हुए हुए ग्वार अभी भी एक मजबूत स्थिति में है। बाकि बाज़ार की चाल पर निर्भर करेगा । NCDEX में ग्वार 10 MT के 1,31,000 चालू सौदे है जिसका मतलब NCDEX में 1.31 करोड बोरी (प्रति बोरी 1 क्विंटल) का व्यापार अभी चल रहा है ।
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